गांव के लिए खुशहाली का जल संसाधन बना बहेराडांड तालाब

ग्राम पंचायत चारपारा के ग्रामीण दस एकड़ खेतों में सिंचाई का ले रहे लाभ

कोरिया/ जल संसाधन के परंपरागत स्रोत के तौर पर तालाब हमेशा से एक मात्र प्रचलित विकल्प रहे हैं जो प्रकृति के अनुकूल हैं। तालाबों से स्थानीय जल स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ यह दैनिक निस्तार और सिंचाई के लिए हमेशा जल संरक्षण के सर्वोत्तम साधन रहे। कोरिया जिले के जनपद बैकुण्ठपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत चारपारा में भी एक तालाब गाद जमने से धीरे धीरे अनुपयोगी हो चला था जिसे मनरेगा के तहत उन्नयन कर अब एक बहुपयोगी संसाधन के तौर पर विकसित किया गया है। अब यह सरोवर ग्रामीणों के दैनिक उपयोग के साथ मछलीपालन और गांव की 10 एकड़ असिंचित भूमि में सिंचाई के संसाधन के तौर पर भी काम आ रहा है।
गाद जमने से हो गया था अनुपयोगी
कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत चारपारा के बहेराडांड मोहल्ले में स्थित यह तालाब गांव में लगभग 15 वर्षों पूर्व ग्राम पंचायत द्वारा बनवाया गया था। ग्रामीण इस तालाब का दैनिक निस्तार के साथ आस-पास के खेतों मेंं सिंचाई के लिए उपयोग करते थे। लेकिन उचित देखरेख के अभाव में इस तालाब में गाद जमने से इसका जलभराव निरंतर कम होता गया। बीते समय से इसकी जलभराव क्षमता बेहद कम हो जाने से बारिश में भरने के बाद यह तालाब ठंड का मौसम समाप्त होते तक सूखने की स्थिति में आ जाता था।
उन्नयन के बाद बना बहुपयोगी
महात्मा गांधी नरेगा के तहत बहेराडांड तालाब को चयनित कर उसका गहरीकरण व सुधार कार्य कराया गया। पूर्व में तालाब में लगभग 4 से 5 हजार घनमीटर जलभराव हो पाता था लेकिन गहरीकरण कार्य के बाद अब इसकी जलभराव क्षमता 10 हजार घनमीटर हो चुकी है। ग्रामीणों के दैनिक निस्तार, मछलीपालन, उनके पशुओं के लिए पेयजल तथा सिंचाई के बेहतर संसाधन के रूप में अब यह बहुपयोगी संसाधन बन गया है।
बहेराडांड सरोवर की उपयोगिता

1. जलभराव :- पूर्व में तालाब की जल भराव क्षमता लगभग 5000 घनमीटर था। और यह ठंड का मौसम समाप्त होते होते लगभग फरवरी-मार्च तक सूख जाता था। वर्तमान में इस सरोवर की जलभराव क्षमता बढ़कर 10 हजार घनमीटर से अधिक हो चुकी है और यह पूरे साल भर उपयोगी जलस्रोत मे बदल चुका है।
2. दो फसली खेती :- यहां के रहवासी किसान श्री प्रकाश नारायण और अनुज कुमार ने बताया कि अब उनके खेतों में सिंचाई की सुविधा बन गई है। धान की अच्छी पैदावार के साथ उनके साथ दर्जन भर किसान अब दस एकड़ खेतों में दोनो प्रकार की खेती और सब्जी आदि का उत्पादन कर रहे हैं। सिंचाई का संसाधन होने से उनके जीवन स्तर में सुधार होने लगा है।
3. आजीविका :- वर्तमान में बहेराडांड तालाब का उन्नयन कार्य पूर्ण होने के उपरांत गां के ही स्व सहायता समूह की महिलाओ हेतु आजीविका के नये साधन का सृजन हुआ, महिलाएं इस वर्ष से इस तालाब में मछली पालन का कार्य करने लगी हैं।

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