अभ्युदय..साहित्य सेवा सृजन काव्य प्रतियोगिता में बीपी मिश्रा ‘अनाम’ एवं पूर्णिमा साहू ने बनाया कीर्तिमान, लगभग 100 से अधिक रचनाकारों ने लिया हिस्सा, 20 प्रतिभागियों को संयुक्त रूप से नगद राशि व सम्मान पत्र किया गया प्रदत्त

एस.के.‘रूप’

बैकुंठपुर/ अभ्युदय… साहित्य सेवा सृजन काव्य प्रतियोगिता विगत दिनों स्व.रूद्र प्रसाद ‘रूप’ स्मृति साहित्य/ सांस्कृतिक/ पत्रकारिता/ जनसेवा/ शौर्य/ शिक्षा सम्मान के द्वारा आहूत की गई कार्यक्रम के आयोजक एस. के.‘रूप’ व अलीशा अवनी ने स्थानीय, वनांचल व राष्ट्र के साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोया।आपको बता दें यह प्रतियोगिता ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित की गई जिसमें 30 वर्ष आयु सीमा व 30 वर्ष के ऊपर दो वर्ग में कविता प्रतियोगिता रखी गई। दो से चार मिनट की कविता की वीडियो में विषय, भावभंगीमा, भाषा, शैली,कला, सार्थक संदेश आदि पक्ष पर निर्णायक मंडल के द्वारा विशेष गहन निरीक्षण उपरांत निर्णय दिया गया वहीं लगभग 100 से ऊपर साहित्यकार, नव रचनाकार कविगण ने हिस्सा लिया। जिसमें से 30 आयु वर्ग में 9 प्रतिभागी एवं 30 से ऊपर में 6 प्रतिभागी सहित 20 प्रतिभागियों को नगद राशि व सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।

30 वर्ष आयु में पूर्णिमा साहू जिला बालोद छत्तीसगढ़, कृष्ण दत्त घघरा एमसीबी,अपूर्व तिवारी भनपुरी रायपुर ने प्रथम स्थान, काजल सिंह चरचा कोरिया,आशीष रजवाड़े ‘निर्मल’ सुखदेव जायसवाल ने द्वितीय, आदर्श तिवारी भांडी कोरिया, रोशन सुरेश बिलासपुर, लक्ष्मीकांत वैष्णव मनलाभ सक्ती ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

इसी तरह 30 वर्ष आयु सीमा से ऊपर छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के वरिष्ठ साहित्यकार भोला प्रसाद मिश्रा ‘अनाम’ एवं अवधी कवि सुखदेव प्रसाद ‘छैल’रायबरेली यूपी ने प्रथम ,आनंद जैन ‘अकेला’ कटनी मध्यप्रदेश एवं ममता यादव ‘स्नेह’ भोपाल मध्यप्रदेश ने द्वितीय एवं राजकुमार शर्मा कटगोड़ी बैकुंठपुर एवं तारा पांडे मुक्तांशा बैकुंठपुर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

प्रतियोगिता में गुलजार सिंह यादव ‘गुल’ अंबिकापुर सरगुजा, अदीक्षा देवांगन ‘अदी’ लूर्गी खुर्द एवं रामचंद्र श्रीवास्तव नवा रायपुर छत्तीसगढ़ को उत्कृष्ट सहभागिता सम्मान से नवाजा गया।अभ्युदय.. साहित्य सेवा सृजन के इस नवाचार को तीन सफलतम वर्ष हो गए हैं जिसके प्रति युवाओं वरिष्ठ रचनाकारों में जोश ऊर्जा उत्साह देखते बनता है। आयोजन कर्ता द्वारा बिना किसी भेदभाव या अन्य प्रलोभन के नि:शुल्क रूप से साहित्य के प्रति जुझारू एवं स्थापित रचनाकारों को प्रतिभा को मंच प्रदान किया जाता रहा है जो आगे भी जारी रहेगा।

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