हिन्दी दिवस 2025 …बच्चों को हिंदी सिखाने के होते हैं 5 बड़े फायदे, नंबर 3 तो उनके जि‍ंंदगी भर आएगा काम

देश भर में आज 14 सितंबर 2025 को हिंदी दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस खास अवसर पर माता-पिता के लिए यह समझना जरूरी है कि बच्चों को इंग्‍ल‍िश के साथ-साथ ह‍िंदी स‍िखानी भी बेहद जरूरी है। क्‍योंक‍ि यह न केवल पर्सनल ब्‍लक‍ि प्रोफेशनल रूप से भी बड़े फायदे होते हैं। 

दिल्ली / – कई माता-पिता का मानना है कि बच्चों को करियर में बेहतर संभावनाएं तभी मिल सकती हैं जब उनकी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ हो। इसलिए वे चाहते हैं कि उनके बच्चे की इंग्‍ल‍िश अच्‍छी हो। इसीलिए बच्चे को अंग्रेजी सिखाने में माता-पिता काफी मेहनत करते हैं। वे उन्हें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाते हैं और अलग से ट्यूशन क्लासेज भी दिलाते हैं, ताकि बच्चे इस लैंग्‍वेज में अच्छी तरह माहिर हो सकें।

हालांकि, माता-पिता को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के साथ-साथ उनकी मातृभाषा हिंदी भी सिखाना बेहद जरूरी है। हिंदी न केवल बच्चों को उनकी जड़ों से जोड़ती है, बल्कि प्रोफेशनल लाइफ में भी उनके काम आती है। इसील‍िए आज 14 सि‍तंबर, 2025 को हिंदी दिवस के मौके पर आइए जानते हैं कि माता-पिता को अपने बच्चों को यह भाषा स‍िखाने के क्‍या फायदे म‍िलते हैं। साथ ही यह भी बताएंगे क‍ि कौन सा लाभ उनके ताउम्र काम आता है।

र‍िश्‍तों की डोर बनी रहे मजबूत

र‍िश्‍तों की डोर बनी रहे मजबूत

बच्‍चों को हिंदी सिखाने का सबसे पहला फायदा यह होता है कि रिश्तों की डोर मजबूत बनी रहती है। कई बार देखा गया है कि बच्चों को अपनी मातृभाषा का सही नॉलेज नहीं होने पर वे बड़े होकर अपने माता-प‍िता या अन्‍य बड़े- बुर्जुगों के साथ इमोशनली रूप से दूरी महसूस करने लगते हैं।

दरअसल, कुछ बच्‍चे अपनी फील‍िंग्‍स मातृभाषा में उन्‍हें समझा नहीं पाते हैं और पैरेंट्स या फ‍िर अन्‍य बड़े उनकी बात को अंग्रेजी में समझ नहीं पाते हैं। इसी वजह से दोनों के बीच एक इमोशनल गैप भी आ सकता है। इसील‍िए जरूरी है क‍ि बच्‍चे को ह‍िंदी भाषा भी स‍िखाई जाए।

फील‍िंग्‍स समझने करने में म‍िलती है हेल्‍प

फील‍िंग्‍स समझने करने में म‍िलती है हेल्‍प

ऐसा कहा जाता है कि इंसान अपने दिल की भावनाओं को जितनी सहजता और गहराई से अपनी मातृभाषा में व्यक्त कर सकता है, उतना किसी और भाषा में नहीं कर पाता। यही वजह है कि बच्चों को हिंदी की अच्छी समझ होना बेहद जरूरी है। इससे वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर पाएंगे। साथ ही, अगर पैरेंट्स की इंग्लिश पर अच्छी पकड़ नहीं है, तो भी वे अपने बच्चों की बात को आसानी से समझ पाएंगे।

ताक‍ि समझ सकें अपनी संस्कृति

ताक‍ि समझ सकें अपनी संस्कृति

बच्‍चों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि उन्हें अपनी मातृभाषा का ज्ञान हो। जब बच्चे अपनी भाषा को समझते हैं, तभी वे अपने परिवार, समाज और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ गहराई से जुड़ पाते हैं।

प्रोफेशनल ज‍िंदगी में भी आएगा काम

प्रोफेशनल ज‍िंदगी में भी आएगा काम

मातृभाषा का ज्ञान केवल निजी जीवन तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यह प्रोफेशनल जिंदगी में भी बेहद काम आता है। दरअसल, जब बच्चे अपने करियर में किसी मुकाम तक पहुंचते हैं, तो अपनी मातृभाषा की समझ उन्हें अपने जूनियर्स और अन्य स्टाफ से सहज और प्रभावी तरीके से बात करने में मदद करती है। क्‍योंक‍ि कई बार ऐसा होता है क‍ि उनके जून‍ियर्स या अन्‍य स्‍टॉफ की इंग्‍ल‍िश इतनी बेहतर न हो।

कर‍ियर में म‍िलता है फायदा

कर‍ियर में म‍िलता है फायदा

ऐसा माना जाता है कि प्रोफेशनल लाइफ में बच्चों का बाइलिंग्वल होना बेहद फायदेमंद होता है। यानी अगर बच्‍चे को हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं का अच्छी नॉलेज हो, तो वे न सिर्फ खुद को बेहतर तरीके से पेश कर पाते हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व और आत्मविश्वास में भी और निखार आता है। इसील‍िए भी जरूरी है क‍ि आप बच्‍चे को अंग्रेजी के साथ-साथ ह‍िंदी स‍िखाने पर भी ध्‍यान दें।

ब्युरो रिपोर्ट

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