सफलता की कहानी जल संरक्षण से सोनवर्षा ग्राम के ग्रामीण हुए आत्मनिर्भर सोनवर्षा-राधारमणनगर ग्राम का तालाब बना जल संरक्षण की मिसाल।

एमसीबी/12 सितम्बर 2025/  जिले के मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सोनवर्षा के ग्राम राधारमणनगर में जल संकट लंबे समय से एक गंभीर समस्या बना हुआ था। भूमिगत जल स्तर 450 फीट से भी नीचे चला गया था और गर्मियों के दिनों में ग्रामीणों को पेयजल और सिंचाई दोनों के लिए भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता था। इन परिस्थितियों में महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत नवीन तालाब निर्माण का कार्य खदान के पास प्रारंभ किया गया, जिसका उद्देश्य वर्षा जल का संरक्षण और संचयन करना था। इस कार्य की लागत 12.80 लाख रही और इसे 07 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ कर ग्राम पंचायत की देखरेख में पूरा किया गया। यह तालाब न केवल ग्रामीणों के निस्तार के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ बल्कि कृषि, मत्स्य पालन और आजीविका का भी प्रमुख साधन बन गया।
तालाब निर्माण से बदला ग्रामीणों का जीवन
इस तालाब के निर्माण ने पूरे गाँव के जीवन को नई दिशा दी। पहले जहाँ जल संकट हर गर्मी में लोगों के लिए चुनौती बन जाता था, वहीं अब तालाब से वर्षभर पानी उपलब्ध हो रहा है। खेतों में लगातार नमी बनी रहने से फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। तालाब के किनारे हरी-भरी फसलें लहलहाती दिखाई देती हैं और इससे ग्रामीणों का आत्मविश्वास भी बढ़ा है। तालाब में मछली पालन की शुरुआत ने ग्रामीणों की आय के नए स्रोत भी खोले हैं। इस कार्य ने गाँव को जल संरक्षण की राह पर आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाया है।

तकनीकी दृष्टिकोण और सामुदायिक प्रयास से हुआ तालाब का निर्माण
तालाब निर्माण के दौरान तकनीकी दृष्टिकोण पर विशेष ध्यान दिया गया। बाँध की ऊँचाई और चौड़ाई को इस प्रकार बनाया गया कि वर्षा के समय अधिकतम जल संग्रहित हो सके और लंबे समय तक सुरक्षित रह सके। गहराई भी पर्याप्त रखी गई ताकि पानी गर्मियों में भी उपलब्ध रहे। पंचायत प्रतिनिधियों, तकनीकी अधिकारियों और ग्रामीणों ने मिलकर इस निर्माण को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। यह परियोजना केवल सरकारी प्रयास नहीं थी बल्कि सामुदायिक एकजुटता और सहयोग की भी एक मिसाल बनी।
ग्रामीणों की गवाही बनी “जल ही जीवन है”
तालाब के निर्माण से लाभान्वित ग्रामीणों ने इसे जीवनदायी बताया। ग्राम राधारमण नगर के बाबू सिंह, जीत नारायण और एक्का प्रसाद ने मिलकर तालाब में लगभग 3000 मछली बीज डाले हैं, जिनकी देखरेख वे स्वयं करते हैं। यह मछली पालन उनकी आय का प्रमुख साधन बन गया है और साथ ही तालाब का उपयोग सिंचाई में भी हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब ने उनकी सबसे बड़ी समस्या, यानी जल संकट, को खत्म कर दिया है और अब वे गर्व से कह सकते हैं कि उनका गाँव आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
यह सफलता की कहानी केवल एक तालाब निर्माण की गाथा नहीं है बल्कि यह बताती है कि यदि सही योजना, तकनीकी मार्गदर्शन और सामुदायिक सहभागिता हो तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं होती। सोनवर्षा-राधारमणनगर का यह तालाब आज जल संरक्षण और ग्रामीण विकास की प्रेरणादायी मिसाल बन चुका है।

ब्युरो रिपोर्ट

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