रायपुर / – देश से नक्सलवाद को मार्च 2026 तक खत्म करने की समय सीमा को पूरा करने के लिए सुरक्षा बल 30 से अधिक नए अग्रिम अड्डे खोलेंगे। सीआरपीएफ तथा उसकी कोबरा बटालियन की विशेष इकाइयां छत्तीसगढ़ में शीर्ष माओवादी नेताओं को निशाना बनाने के लिए भीतर तक जाएंगी।आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
शुक्रवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के निदेशक तपन डेका, सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम के साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बस्तर क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में एफओबी खोलने का फैसला
नक्सल विरोधी अभियानों पर हुई बैठक में सुरक्षा बलों की तैनाती और नई इकाइयों के लिए उनकी जरूरतों की समीक्षा की गई, जो अंदरूनी इलाकों में जाएंगी। सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि मानसून की बारिश खत्म होने के बाद बस्तर क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में 30 से ज्यादा नए अग्रिम ऑपरेशन बेस (एफओबी) खोलने का फैसला किया गया है ताकि अभियान तेज किया जा सके।
कोबरा बटालियन मुख्य नक्सल प्रभावित इलाकों में बढ़ेगी
उन्होंने बताया कि इस काम का ज्यादातर हिस्सा सीआरपीएफ की इकाइयों द्वारा किया जाएगा। जबकि इसकी विशेष जंगल युद्ध बटालियन कोबरा राज्य के मुख्य नक्सल प्रभावित इलाकों में आगे बढ़ेगी। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक अभियानों की प्रगति की समीक्षा करने और नए अभियानों की योजना बनाने के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) को समाप्त करने की घोषित समय सीमा को ध्यान में रखा गया था।
दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 तक पूरा हो सकता है लक्ष्य
छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र अब भी आखिरी गढ़ बना हुआ है, जहां नक्सलियों की मौजूदगी और हिंसक गतिविधियां जारी हैं। सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस के कोबरा और जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) जैसे बलों को माओवादियों के बचे हुए नेतृत्व को निशाना बनाने का निर्देश दिया गया है।
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कई नक्सली कार्यकर्ताओं के मारे जाने के साथ ही इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। अगर अभियानों की मौजूदा गति अच्छी रही तो संभावना है कि देश से नक्सलवाद को खत्म करने की समय सीमा दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 तक पूरी हो सकती है।
झारखंड और अन्य राज्यों से लाई गईं टुकड़ियां भी तैनात
सूत्रों ने बताया कि हाल ही में झारखंड और अन्य राज्यों से सीआरपीएफ द्वारा लाई गई कुछ नई टुकड़ियां भी छत्तीसगढ़ में मौजूदा पैदल पुलों पर तैनात हो गई हैं और वे आगे भी काम करेंगी। सीआरपीएफ और अन्य बलों ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य में लगभग 50 पैदल पुल बनाए हैं। ये दुर्गम नक्सल क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के अभियानों में सहायता के लिए बनाए गए अड्डे हैं।
तालमेल बढ़ाने पर जोर
सीआरपीएफ महानिदेशक सिंह और छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम ने शनिवार को जगदलपुर में इस विषय पर एक अलग बैठक भी की। सीआरपीएफ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि चर्चा का केंद्र सुरक्षा बलों, खुफिया एजेंसियों और प्रशासन के बीच तालमेल बढ़ाने पर था। ताकि शांति प्रयासों को मज़बूत किया जा सके और राज्य से नक्सलवाद का खात्मा किया जा सके।
शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि
इस बैठक से पहले, सीआरपीएफ महानिदेशक ने बस्तर के प्रवेश द्वार कोंडागांव जिले में स्थित अपने परिसर में हाल ही में बल द्वारा निर्मित शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। यह स्मारक 2003 से 15 अगस्त, 2005 के बीच बस्तर क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए 460 बहादुर सीआरपीएफ कर्मियों, जिनमें 20 अधिकारी भी शामिल हैं, की स्मृति में बनाया गया है।
इस साल अब तक 230 नक्सली मारे गए
राज्य पुलिस के अनुसार इस वर्ष अब तक छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में कम से कम 230 नक्सली मारे गए हैं। इनमें से 209 नक्सली बस्तर संभाग में मारे गए, जिसमें बीजापुर, बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिले शामिल हैं।
ब्युरो रिपोर्ट





