हरतालिका तीज 2025: कल यानी 26 अगस्त 2025 को हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में अगर आप प्रेग्नेंट हैं और व्रत रखने का सोच रही हैं, तो आपको एक बार संत प्रेमानंद महाराज की बात जरूर सुननी चाहिए। महाराज बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान तीज का व्रत करना चाहिए या नहीं और इस समय महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के मन में कई तरह की चीजों को लेकर सवाल रहते हैं, जैसे- क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, क्या एक्सरसाइज करना सेफ होगा ? इसी तरह, कुछ महिलाओं के दिमाग में यह भी ख्याल आता है कि क्या इस दौरान व्रत रखना सही रहेगा या नहीं है।
क्योंकि इस फेज में सबसे बड़ा डर यही होता है कि कहीं व्रत रखने से बेबी को पर्याप्त न्यूट्रिशन न मिलने पर बुरा असर न पड़ जाए। हालांकि, इस उधेड़बुन पर प्रेमानंद महाराज ने अपनी राय रखी है। उन्होंने बताया है कि प्रेग्नेंसी में नवरात्रि, करवाचौथ और हरितालिका तीज सहित अन्य त्योहारों पर व्रत रखना चाहिए या नहीं।
हरतालिका तीज और करवाचौथ व्रत रखना चाहिए
प्रेमानंद महाराज आश्रम में सत्संग के दौरान एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि तीज, नवरात्रि और करवा चौथ जैसे व्रतों में महिलाओं की अटूट श्रद्धा रहती है। लेकिन गर्भावस्था के समय कई महिलाएं अपनी सेहत और गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान न रखकर भी व्रत रख लेती हैं। क्या यह उचित है?
गर्भवती महिलाओं को नहीं रखना चाहिए व्रत
यह सवाल सुनने के बाद प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को व्रत नहीं रखना चाहिए, क्योंकि उस समय बच्चे का पूरा पोषण मां के खान-पान पर ही निर्भर करता है। अगर, मां व्रत रखेगी तो शिशु को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाएंगे, जिससे बीमारियां और कमजोरी हो सकती है। इस दौरान बच्चे को हर प्रकार का पोषण केवल मां से ही मिलता है, इसलिए गर्भवती महिला के लिए खान-पान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
यही होगा सच्चा व्रत
संत आगे कहते हैं कि मेरी सभी माताओं से यही विनती है कि गर्भावस्था के समय सबसे बड़ा व्रत यही है कि आप गर्भस्थ शिशु का पूरा पोषण करें और उसे स्वस्थ जन्म दें। वहीं, जब बच्चा बड़ा होकर हमारे राष्ट्र के काम आएगा, तो वही आपका सबसे बड़ा व्रत होगा।
मां से ही मिलता है शिशु को पोषण
महाराज कहते हैं कि गर्भ के दौरान हर पल नाभि की नली से शिशु को पोषण मिलता है। मां जो भी प्रति घंटा खाती-पीती है, उसी से बच्चे को जरूरी तत्व प्राप्त होते हैं। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि वे इस वक्त में बाहरी आराधना करें, जैसे-भजन-कीर्तन, पूजा-पाठ और भगवान का स्मरण, लेकिन अपने खान-पान से समझौता न करें।
बैचेन हो जाएगा गर्भस्थ शिशु
प्रेमानंद महाराज आगे समझाते हैं कि गर्भावस्था के दौरान निर्जला व्रत का अनुष्ठान नहीं करना चाहिए, क्योंकि उस समय शिशु को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता। अब, जैसे- करवा चौथ पर माताएं और बहनें निर्जला उपवास रखती हैं, लेकिन गर्भवती महिला अगर ऐसा करती है तो गर्भस्थ शिशु पोषण के अभाव में व्याकुल हो सकता है।
गर्भस्थ शिशुओं के लिए जरूरी है भोजन
संत अंत में कहते हैं महिलाएं इस बात को इस तरह से समझें कि, जैसे- महिलाओं के लिए औषधि जरूरी होती है। ठीक, वैसे ही गर्भस्थ शिशु के लिए आहार आवश्यक है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को मेरी समझ में उन दिनों में व्रत नहीं रखना चाहिए।
ब्युरो रिपोर्ट





