रिपोर्ट ने कहा कि दस्तावेज हासिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना और ग्रामीण व वंचित क्षेत्रों में बेहतर सहायता प्रणाली विकसित करना जरूरी है, ताकि पात्र मतदाता सहजता से नामांकन कर सकें।
चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची को सुधारने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है। वहीं इसकी अपनी 2024 KAP (Knowledge, Attitude and Practices) सर्वेक्षण रिपोर्ट ने चौंकाने वाला अंतर उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में मतदाता सूची की लगभग संपूर्ण सटीकता (98.9%) पाई गई है, लेकिन साथ ही यह भी सामने आया कि 31.8% परिवारों में पात्र सदस्य अब भी वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं हैं।
सर्वे में पाया गया कि 0.3% मतदाताओं के नाम गलत दर्ज थे और 0.7% को जानकारी नहीं थी कि उनका नाम सही है या नहीं। वहीं, सर्वे में शामिल 85.6% लोगों ने ‘जागरूकता की कमी’ को वोटर लिस्ट से बाहर रहने का मुख्य कारण बताया। इसके अलावा, 6.6% ने वैध दस्तावेज न होने और 1.9% ने जटिल प्रक्रिया को कारण बताया।
EPIC कवरेज लगभग 100%
बिहार में EPIC (मतदाता पहचान पत्र) कवरेज 99.2% पाया गया। फिर भी जिनके पास EPIC नहीं था, उनमें से अधिकांश ने लंबी प्रक्रिया, कार्यालय तक पहुंचने की कठिनाई और अधिकारियों के असहयोग को प्रमुख कारण बताया।
वोट नहीं डालने की वजह
सर्वे के अनुसार, हालिया चुनावों में वोट न डालने वालों में 30.1% मतदाता मतदान क्षेत्र से अनुपस्थित थे। 26.15% के पास EPIC नहीं था। 11.2% का नाम मतदाता सूची में ही नहीं था।
रिपोर्ट ने कहा कि भले ही बिहार की मतदाता सूची लगभग सही है, लेकिन छोटी-सी त्रुटि भी मताधिकार से वंचित कर सकती है। आयोग ने सुझाव दिया कि सेल्फ-वेरिफिकेशन टूल्स और मोबाइल ऐप या SMS आधारित समय-समय पर रोल अपडेट शुरू किए जाएं।
साथ ही, रिपोर्ट ने कहा कि दस्तावेज हासिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना और ग्रामीण व वंचित क्षेत्रों में बेहतर सहायता प्रणाली विकसित करना जरूरी है, ताकि पात्र मतदाता सहजता से नामांकन कर सकें।
ब्युरो रिपोर्ट