सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को गुरुवार को निर्देश दिया था कि वह बिहार की मतदाता सूची के एसआईआर में पारदर्शिता बढ़ाए। इसके लिए मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करे। साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में मतदाता सूची की SIR कराने के 24 जून के आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। इसने कहा कि 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में थे, लेकिन मसौदा सूची से हटा दिए गए थे। मसौदा सूची को 1 अगस्त को प्रकाशित किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा
एससी की बेंच ने टेलीविजन समाचार चैनलों और रेडियो के माध्यम से व्यापक प्रचार करने पर जोर दिया, ताकि लोगों को उन स्थानों के बारे में जानकारी दी जा सके जहां सूची उपलब्ध होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि नाम हटाए जाने से जिन लोगों को दिक्कत है, उन्हें अपने आधार कार्ड के साथ निर्वाचन अधिकारियों से संपर्क करने की अनुमति दी जाती है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तारीख निर्धारित करते हुए आयोग से उसके निर्देश की पालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से उन दस्तावेजों की जानकारी देने को कहा, जिन पर बिहार में 2003 के गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान विचार किया गया था।
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