दिल्ली / – भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील (India-US Trade Deal) में बातचीत तेज होने की बात कही जा रही है, भारतीय टीम फिर से वाशिंगटन पहुंच गई है और उम्मीद जताई जा रही है कि ट्रंप की टैरिफ लागू करने की डेडलाइन 1 अगस्त 2025 से पहले बड़ा ऐलान हो सकता है. इस बीच बता दें कि अमेरिका के साथ डील एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर से जुड़े मुद्दों को लेकर अटकी हुई है, जिन्हें US Products के लिए खोलने की डिमांड अमेरिका कर रहा है.
भारत का रुख इस मामले में अडिग बना हुआ है और सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि किसी भी दबाव में किसानों के हितों के साथ समझौता नहीं किया जाएगा. भारत का ये रुख ऐसे ही नहीं है, इसके पीछे बड़ा कारण है. SBI रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ डेयरी सेक्टर अमेरिका के लिए खोलना देश के 8 करोड़ किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
डेयरी किसानों को ऐसे हो सकता है नुकसान
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट (SBI Report) में आंकड़ों के साथ डेयरी सेक्टर को अमेरिका के लिए खोलने के किसानों पर विपरीत प्रभाव के बारे में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत के डेयरी क्षेत्र को US Import के लिए खोलने से भारतीय डेयरी किसानों को सीधे 1.03 लाख करोड़ रुपये की सालाना चपत लग सकती है. एसबीआई की ओर से कहा गया कि भारत में डेयरी सेक्टर ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Indian Rural Economy) में अहम रोल निभाता है. यह राष्ट्रीय सकल मूल्य संवर्धन (GVA) में करीब 2.5-3 फीसदी का हिस्सेदार है, जो लगभग 7.5-9 लाख करोड़ रुपये है.
किसानों का आजीविका पर सीधा असर
एएनआई पर छपी SBI Reaserch Report में निष्कर्ष निकाला गया कि डेयरी सेक्टर को खोलने से अमेरिका के साथ व्यापक आर्थिक और रणनीतिक सहयोग तो हो सकता है, लेकिन इसके भारतीय किसानों पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. क्योंकि अमेरिका के लिए भारतीय बाजार खोले जाने और वहां के डेयरी प्रोडक्ट्स को भारी सब्सिडी देने से भारत के डेयरी सेक्टर पर आश्रित छोटे किसानों की आजीविका पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और इससे भारत का दूध आयात करीब 2.5 करोड़ टन सालाना बढ़ सकता है. इसलिए ये सबसा बड़ा मुद्दा बन गया है, जिसे लेकर India-US Trade Deal में पेंच फंसा हुआ है.
सरकार यहां समझौते के मूड में नहीं
इससे पहले ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि डेयरी, पोल्ट्री, जीएम सोया और चावल जैसे तगड़ी सब्सिडी वाले अमेरिकी निर्यात से भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है और खाद्य सुरक्षा में कमजोरी देखने को मिल सकती है. किसानों को होने वाला संभावित नुकसान ही सबसे बड़ी वजह है कि भारत इस मुद्दे पर कोई रिस्क लेना नहीं चाहता.
पहले ही भारत सरकार की ओर से केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कह दिया है कि FTA भारत और अमेरिका दोनों के लिए फायदे का सौदा होना चाहिए, तो कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो टूक कहा था कि ट्रेड डील पर कोई फैसला दबाव में नहीं होगी, बल्कि ये भारतीय किसानों के हितों को ध्यान में रखकर फाइनल होगी.
ब्यूरो रिपोर्ट





