मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर/विश्व धरोहर दिवस सप्ताह 19 नवंबर से 25 नवंबर तक मनाया जाएगा। इस अवसर पर, हम एमसीबी जिले की उन अनमोल धरोहरों पर चर्चा करेंगे जिन्हें विश्व धरोहर में शामिल नहीं किया गया है।एमसीबी जिले में कई पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरें हैं जिन्हें सुरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता है। इनमें से एक प्रमुख धरोहर है जनकपुर भरतपुर सीतामढ़ी हर चौका और घाघरा का 13वीं शताब्दी का मंदिर, जो बिना किसी मसाले के सिर्फ पत्थरों पर टिकी हुई है।इस मंदिर की विशेषता है इसकी अनोखी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे इतिहास और संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।इसके अलावा, एमसीबी जिले में कई अन्य पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरें हैं जिन्हें सुरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता है। इनमें प्राचीन गुफाएं, मंदिर, पुरातात्विक अवशेष और सांस्कृतिक धरोहरें शामिल हैं।
इन धरोहरों को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग की जा रही है ताकि इन्हें संरक्षित किया जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाया जा सके।विश्व धरोहर दिवस सप्ताह के अवसर पर, हम इन धरोहरों के महत्व को समझने और इन्हें सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए जागरूकता फैलाने का प्रयास करेंगे। हमें उम्मीद है कि सरकार और जनता इन धरोहरों को संरक्षित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।एमसीबी जिले की अनमोल धरोहरें न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, बल्कि यह हमारे इतिहास और संस्कृति को भी प्रदर्शित करती हैं। आइए हम इन धरोहरों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए एकजुट हों और आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें बचाएं।

वीरेंद्र श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक धरोहरों के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि अभी तक किसी भी धरोहर को यूनेस्को में रजिस्टर्ड नहीं कराया जा सका है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल जी के समय में इस दिशा में काफी काम हुआ था और गोंडवाना मरिनफोर्स को विकसित करने का प्रयास किया गया था।उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कई प्राचीन धरोहर हैं, जैसे कि सिरपुर के मंदिर, कांकेर मंदिर और रतनपुर का मंदिर। लेकिन इन धरोहरों को यूनेस्को में शामिल करने के लिए अभी तक पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए हैं।वीरेंद्र श्रीवास्तव ने एमसीबी जिले में स्थित सीतामढ़ी हर चौक में भगवान राम के भव्य मंदिर और गुफाओं का उल्लेख किया, जो भगवान राम के आवास के प्रमाण के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा, घाघरा में एक प्राचीन मंदिर है, जो 13वीं शताब्दी का है और बिना जोड़ का मंदिर है।उन्होंने प्रशासन से अपील की कि इन धरोहरों के संरक्षण और विकास के लिए प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि इन्हें यूनेस्को में शामिल किया जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाया जा सके।

डॉ. विनोद कुमार पांडे ने विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया कि अभी तक राज्य का कोई भी स्थल विश्व धरोहर सूची में शामिल नहीं हो सका है। हालांकि, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रयास जारी हैं और सिरपुर तथा कांकेर घाटी जैसे स्थलों को टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है, जिससे उम्मीद है कि जल्द ही इन्हें विश्व धरोहर का दर्जा मिल सकता है।

डॉ. पांडे ने एमसीबी जिले की बात करते हुए बताया कि जिले में फॉसिल पार्क, रॉक पेंटिंग, गुफाएं, धवलपुर की घड़ी और चिपचिपी के मंदिर जैसे कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। इन स्थलों को विरासत स्थल के रूप में विकसित करने और विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए जिला प्रशासन और स्थानीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।उन्होंने बताया कि प्रचार-प्रसार और जागरूकता के माध्यम से लोगों को अपनी विरासत के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और इन धरोहरों का संरक्षण किया जा सके। इसके लिए स्कूलों में भी विशेष सप्ताह मनाने का आयोजन किया जाता है।





