पिता की टीबी से मौत, बेटे ने मरीज को गोद लिया मनेन्द्रगढ़ के शराफत अली ने टीबी मरीज के इलाज व पोषण की जिम्मेदारी संभाली, कहा – “किसी और को मेरे पिता जैसा दुख न झेलना पड़े”

एमसीबी/06 नवम्बर 2025/ मनेन्द्रगढ़ निवासी शराफत अली ने एक मानवीय पहल करते हुए टीबी से पीड़ित महिला संगीता सिंह को गोद लिया है। वे मरीज के इलाज पूरा होने तक उसके पोषण आहार की जिम्मेदारी स्वयं निभाएंगे।
शराफत अली ने बताया कि वर्ष 1985 में उनके पिता स्वर्गीय शहाबुद्दीन अंसारी की टीबी से मृत्यु हो गई थी, जब वे मात्र आठ वर्ष के थे। उस समय बीमारी गंभीर मानी जाती थी और आर्थिक तंगी के कारण इलाज में कठिनाइयाँ आईं। उसी दर्दनाक अनुभव ने उन्हें आज किसी जरूरतमंद मरीज की मदद के लिए प्रेरित किया भारत सरकार के “नि-क्षय मित्र” अभियान के तहत टीबी उन्मूलन में जन भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस अभियान में समाजसेवी या डोनर आर्थिक रूप से कमजोर टीबी मरीजों को गोद लेकर उनके इलाज के दौरान पोषण आहार उपलब्ध कराते हैं।
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में वर्तमान में 274 टीबी मरीज पंजीकृत हैं, जिनमें से अकेले मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक में 136 मरीज हैं। इनमें कई मरीज कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण पर्याप्त पोषण नहीं ले पाते। शराफत अली ने कहा कि यह प्रयास किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि समाज के हर संवेदनशील नागरिक का होना चाहिए। उन्होंने आम जन से अपील की कि वे ‘नि-क्षय मित्र’ अभियान से जुड़कर टीबी मरीजों की मदद करें, ताकि किसी की जान केवल संसाधनों के अभाव में न जाए। भारत सरकार के सर्वेक्षण के अनुसार, देश में प्रतिवर्ष लगभग 26 लाख लोग टीबी से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 4 लाख की मृत्यु हो जाती है। सरकार ने टीबी मुक्त भारत 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया है। मरीजों को निःशुल्क दवाएं और मासिक आर्थिक सहायता (1000 रुपये तक) प्रदान की जा रही है।
            ब्युरो रिपोर्ट
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