एमसीबी में शिक्षा व्यवस्था की उड़ रही धज्जियां , बेपरवाह शिक्षक समय से पहले स्कूल की छुट्टी कर हो जाते हैं नदारत , बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़ विभाग से जुड़े उच्च अधिकारियों को नही है खबर।

एमसीबी / मनेन्द्रगढ़  — विकासखंड भरतपुर के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक शालाओं में शिक्षा व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हाल ही में कर्री, जवारीटोला और छिरहाटोला के प्राथमिक शालाओं में समय से पहले छुट्टी कर दी गई, जबकि शिक्षक स्कूल से नदारद थे। भरतपुर विकासखंड के अंतर्गत लगभग 300 स्कूल है इन शालाओं में शिक्षकों की लापरवाही साफ तौर पर देखी जा सकती है। वे अपने कर्तव्यों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।इससे शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते हैं और लगता है कि स्कूलों में अनुशासन और व्यवस्था नहीं हैअभिभावकों और ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से मांग की है कि स्कूलों में अनियमितता को दूर किया जाए और दोषी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य के लिए यह जरूरी है कि स्कूलों में नियमित रूप से पढ़ाई हो और शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को समझें।

शिक्षा विभाग को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। विभाग को चाहिए कि वह स्कूलों का नियमित निरीक्षण करे और दोषी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करे।
बच्चों के भविष्य के लिए यह जरूरी है कि स्कूलों में नियमित रूप से पढ़ाई हो और शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को समझें। शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन को मिलकर काम करना होगा ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके और उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।

ग्राम कर्री के राजकुमार सिंह टेकाम ने बताया कि प्राथमिक शाला कर्री में शिक्षकों की कमी है। उन्होंने कहा कि केवल 1 शिक्षक मदन सिंह आते हैं,प्रधानपाठक मैडम भी पहले ही चली गई थीं। राजकुमार सिंह टेकाम ने बताया कि स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल में लंच कराने के बाद बच्चों को जल्दी छुट्टी कर दी जाती है।

मनोहर सिंह ग्राम कर्री के निवासी ने बताया कि उनके गांव के प्राथमिक शाला में अनियमितता है। उन्होंने कहा कि 1.30 बजे तक स्कूल चालू था, लेकिन मैडम और मदन गुरुजी दोनों छुट्टी करके चले गए।मनोहर सिंह ने बताया कि बच्चों को खाना खिलाकर छुट्टी कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि स्कूल में शिक्षकों की कमी है और अनियमितता के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

कर्री स्कूल की सहायिका हीराबाई ने बताया कि 1.30 बजे गुरुजी ने बच्चों को खाना खिलाकर छुट्टी कर दी और खुद चले गए। इससे स्पष्ट होता है कि स्कूल में अनियमितता है और शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। हीराबाई के बयान से स्कूल प्रशासन पर सवाल उठते हैं कि आखिर क्यों बच्चों को इतनी जल्दी छुट्टी कर दी गई और शिक्षक क्यों अनुपस्थित थे। इस मामले में जांच और कार्रवाई की आवश्यकता है।

जवारी गांव के अजय ने बताया कि उनके गांव के प्राथमिक शाला में अनियमितता है। उन्होंने कहा कि स्कूल 11-12 बजे तक लगा हुआ था, लेकिन उसके बाद बंद हो गया। अजय ने बताया कि स्कूल में एक मैडम और एक सर आए हुए थे, लेकिन उनके समय पर नहीं आने या जल्दी चले जाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

जवारी गांव की वार्ड 07 की पंच चंद्रवती ने बताया कि आज पानी गिर रहा था, लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षकों ने जल्दी छुट्टी कर दी। उन्होंने कहा कि रोजाना ऐसा ही होता है और लगभग 3 बजे छुट्टी हो जाती है।
चंद्रवती ने बताया कि शिक्षकों की अनियमितता के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल में नियमित रूप से पढ़ाई नहीं हो पा रही है और बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है।

ग्राम छिरहा के निवासी विजय सिंह ने बताया कि स्कूल लगभग 2:50 बजे बंद कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद यह देखा है। इससे स्कूल की समय-सारणी और अनुशासन पर सवाल उठते हैं।

बाइट—राजकुमार सिंह टेकाम,,,ग्राम कर्री,,, काले सफेद रंग की चौकाने वाली शर्ट पर

बाइट —मनोहर सिंह,,,ग्राम कर्री,,, गले में चैन

बाइट — हीराबाई,,,कर्री स्कूल की सहायिका,,, आसमानी कलर की साड़ी पहने हुए

बाइट — अजय,,,,जवारी गांव पुरुष,,, सफेद आसमानी रंग की चौकाने वाली शर्ट पर

बाइट — चंद्रवती,,,जवारी गांव की वार्ड 07 की पंच,,, हरे कलर की साड़ी पहने हुए

बाइट — विजय सिंह,,,ग्राम छिरहा,,, फ्रेंच दाढ़ी रखे हुए

*वर्जन*

विकासखंड शिक्षा अधिकारी भरतपुर सच्चिदानंद साहू ने फोन पर चर्चा में वीडियो, फोटो और ग्रामीणों के कथन मांगे और नोटिस काटने की बात कही। हालांकि, विकासखंड अधिकारी के द्वारा पहले भी कई बार नोटिस काटने की बात कही गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होती है और शिक्षकों को खुली छूट दे दी जाती है। इससे लगता है कि अधिकारी सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं और वास्तविक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

ब्युरो रिपोर्ट

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