दिल्ली / – हर साल 8 सितम्बर को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि “मूवमेंट ही दवा है।” फिजियोथेरेपी केवल चोट या सर्जरी के बाद ठीक होने का जरिया नहीं है, बल्कि यह समस्याओं से बचाव करने, शरीर को मज़बूत बनाने और हर उम्र में स्वस्थ व स्वतंत्र रहने का एक तरीका है।
इस अवसर पर डॉ. इन्द्रमणि उपाध्याय, एमपीटी (ऑर्थो), एचओडी, द सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर, वैशाली, गाज़ियाबाद ने बताया कि इस वर्ष का विषय रिहैबिलिटेशन और हेल्दी एजिंग (पुनर्वास और स्वस्थ उम्रदराज़ी) है। लेकिन फिजियोथेरेपी केवल बुज़ुर्गों के लिए ही नहीं बल्कि छात्रों, प्रोफेशनल्स, खिलाड़ियों, महिलाओं और गृहिणियों—सभी के लिए लाभकारी है।
डॉ. उपाध्याय का कहना है कि फिजियोथेरेपी केवल इलाज नहीं बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है। यदि हम रोज़मर्रा की दिनचर्या में कुछ मिनट स्ट्रेचिंग, पॉश्चर सुधार और सांस लेने की तकनीक शामिल कर लें, तो जीवनभर दर्द और बीमारियों से बचाव संभव है।
क्यों जरूरी है फिजियोथेरेपी?
• ऑफिस वर्कर्स : घंटों डेस्क पर बैठने से पीठ व गर्दन दर्द बढ़ता है, जिसे सही पॉश्चर और एक्सरसाइज़ से रोका जा सकता है।
• खिलाड़ी व फिटनेस लवर्स : चोटों से बचाव, मसल्स कंडीशनिंग और तेज रिकवरी में मददगार।
बुज़ुर्ग : बैलेंस सुधारने, गिरने के खतरे को कम करने और जोड़ों को लचीला रखने में सहायक।
• महिलाओं का स्वास्थ्य : गर्भावस्था, डिलीवरी के बाद रिकवरी और पेल्विक फ्लोर को मज़बूत करने में फायदेमंद।
घर पर अपनाएं ये आसान टिप्स
ऑफिस वर्कर्स के लिए 20-20-20 नियम : हर 20 मिनट पर 20 फीट दूर देखें और 20 सेकंड तक आँखों को आराम दें। साथ ही पीठ सीधी करके खड़े हों और कंधे घुमाएँ।
गर्दन और कंधे की स्ट्रेचिंग : गर्दन को धीरे-धीरे एक कंधे की ओर झुकाएँ और 10 सेकंड तक रोकें। दोनों ओर दोहराएँ।
कोर मज़बूती (पेल्विक टिल्ट) : पीठ के बल लेटें, घुटने मोड़ें। पेट की मांसपेशियों को कसें और पीठ को फर्श से लगाएँ। 5 सेकंड तक रोकें।
बुज़ुर्गों के लिए बैलेंस एक्सरसाइज़ : कुर्सी पकड़कर एक पैर को ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठाएँ और 10 सेकंड तक रोकें।
डीप ब्रीदिंग : गहरी सांस लें, पेट बाहर आए और धीरे-धीरे छोड़ें। तनाव कम होगा और फेफड़े मज़बूत होंगे।
क्या है एक्सपर्ट की राय
डॉ. उपाध्याय का कहना है कि फिजियोथेरेपी केवल इलाज नहीं बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है। यदि हम रोज़मर्रा की दिनचर्या में कुछ मिनट स्ट्रेचिंग, पॉश्चर सुधार और सांस लेने की तकनीक शामिल कर लें, तो जीवनभर दर्द और बीमारियों से बचाव संभव है।
ब्युरो रिपोर्ट





