कानपुर / – चूहों का नाम सुनते ही दिमाग सजग हो जाता है कि घर में आ गए तो न जाने क्या-क्या नुकसान कर देंगे। लेकिन इन आशंकाओं से इतर चूहों का एक बाजार भी फल-फूल रहा है। सफेद चूहे बेचकर दुकानदार लाखों रुपये कमा रहे हैं। अकेले कानपुर में हर महीने चूहों की खरीद-बिक्री का लगभग 50 लाख रुपये से अधिक का कारोबार हो रहा है। कानपुर में चूहों का सबसे बड़ा खरीदार चिड़ियाघर है। चिड़ियाघर में रखे करीब 50 सांपों और उल्लुओं को भोजन में चूहों की जरूरत होती है। सांपों को खाने के लिए एक से तीन चूहे दिए जाते हैं। उल्लुओं को भी रोज एक चूहा भोजन में दिया जाता है।
मान्यता है कि सफेद चूहे भाग्य का प्रतीक हैं। सफेद चूहे पालने से घर में दूसरे चूहे नहीं आते हैं। घर में चूहों से नुकसान नहीं होता है। यही वजह है कि लोग सफेद चूहों को घरों में शौकिया भी पालते हैं। घर में पाले गए चूहों से पैदा बच्चे बाजार में बिक जाते हैं।
100 से अधिक चूहे बिकते हैं रोज
कानपुर में रोजाना 100 से अधिक सफेद चूहे बिकते हैं। एक जोड़ा चूहा 250 से 300 रुपये में बिकता है। इस प्रकार महीने भर का कारोबार देखें तो 50 लाख रुपये से अधिक के सफेद चूहे बिक जाते हैं। चिड़ियाघर को चूहों की आपूर्ति करने वाले अनूप बताते हैं कि दुकानों के अलावा चूहे पालने वाले लोगों से वह चूहों के बच्चे लेते हैं। 25 दिन में बच्चे तैयार हो जाते हैं। कानपुर के बाजार में चूहे कम पड़ते हैं तो उन्नाव के शुक्लागंज से चूहे खरीदकर लाते हैं।
शुक्लागंज में चूहों का व्यापार कर रही बबली का कहना है कि घरों में पालने के लिए लोग चूहे ले जाते हैं। सफेद चूहे पालने से घरों में दूसरे चूहे नहीं आते ते हैं। चूहों की बढ़िया मांग हैं और यह 250 से 300 रुपये जोड़ा बिक जाता है।
ब्युरो रिपोर्ट





