नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में आदेश दिया कि जिन दोषियों ने उम्र कैद में सजा की निश्चित अवधि पूरी कर ली है, उन्होंने निश्चित तौर पर रिहा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नीतीश कटारा केस में दोषी सुखदेव पहलवान की रिहाई का आदेश देते हुए यह निर्णय सुनाया है। अदालत ने उसकी 20 साल की सजा पूरी होने के बाद भी रिहाई नहीं मिलने पर सवाल उठाया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जिस दोषी को एक निश्चित अवधि का आजीवन कारावास मिलता है, जैसे कि पहलवान, उस अवधि को पूरा करने के बाद दोषी को निश्चित तौर पर रिहा किया जाना चाहिए।
तो प्रत्येक दोषी जेल में ही मर जाएंगे….’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सुखदेव पहलवान जैसे मामले में क्षमा आदेश (remission order) की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह उन मामलों में आवश्यक है, जिसमें दोषियों को ताउम्र या मृत्युपर्यंत जेल की सजा दी जाती है। अदालत ने उन दोषियों के बारे में भी चिंता जाहिर की जो, अपनी सजा पूरी कर लेने के बावजूद आज भी जेलों में बंद हो सकते हैं, और निर्देश दिया कि ऐसे लोगों को तुरंत रिहा किया जाए। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने पहलवान के जेल में रखने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा,
मार्च में ही 20 साल की सजा पूरी हो चुकी थी
इस मामले में तथ्य ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुखदेव पहलवान उर्फ सुखदेव यादव को 29 जुलाई को ही रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन, सेंटेंस रिव्यू बोर्ड ने उसके आचरण का हवाला देकर रिहाई रोक रखी थी। इससे पहले पहलवान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसने पूरा फैसला आने तक तीन महीने के फरलो पर अस्थायी रिहाई की इजाजत दे रखी थी। वैसे पहलवान की 20 साल की सजा मार्च में ही पूरी हो चुकी थी।
सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को भी इसके आदेश को नजरअंदाज करने के लिए फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा, ‘यह किस तरीके का बर्ताव है….’। इससे पहले एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश होकर दलील दी थी कि 20 साल की सजा के बाद स्वत: रिहाई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि ‘आजीवन कारावास‘ का मतलब है, पूरी उम्र में जेल में रहना। लेकिन, पहलवान के वकील सिद्धार्थ मृदुल ने सजा के आदेश में जेल की अवधि की ओर इशारा किया, जो कि 9 मार्च को ही पूरा हो गया था और तर्क दिया था कि इसके बाद उसकी रिहाई न करने का कोई कारण नहीं है।
ब्यूरो रिपोर्ट





