E20 पेट्रोल की पूरे देश में बिक्री के खिलाफ याचिका खारिज, दलीलों से सहमत नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट –

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) को पूरे देश में लागू करने के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया. अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि लाखों वाहन चालक ऐसे ईंधन का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं जो उनके वाहनों के लिए अनुकूल नहीं है.

हालांकि, पीठ याचिका में उठाई गई दलीलों से सहमत नहीं थी. केंद्र सरकार ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए दावा किया कि E20 ईंधन गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने नीति आयोग की 2021 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया. याचिकाकर्ता के अनुसार, रिपोर्ट में पुराने वाहनों, खासकर 2023 से पहले निर्मित, मिश्रित पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की ईंधन दक्षता में छह प्रतिशत की कमी पर चिंता व्यक्त की गई थी. पीठ के समक्ष तर्क दिया गया कि लोगों को एक विकल्प दिया जाना चाहिए, क्योंकि E20 केवल अप्रैल 2023 के बाद के वाहन में उपयोग के लिए उचित है.

याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया कि वह E20 के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि यह ईंधन के संबंध में तार्किक प्रगति है, लेकिन कम से कम आपूर्तिकर्ताओं को लोगों को यह बताने देना चाहिए कि कुछ वाहन इसके अनुरूप नहीं हैं.

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता निहित स्वार्थों वाली एक ‘बड़ी लॉबी’ का ‘नामधारी’ है, और पूछा, “क्या देश के बाहर के लोग यह तय करेंगे कि भारत को किस प्रकार के ईंधन का उपयोग करना चाहिए?”

याचिकाकर्ता ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सभी ईंधन स्टेशनों पर इथेनॉल मुक्त पेट्रोल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश देने की भी मांग की.

याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह अधिकारियों को निर्देश दे कि वे सभी पेट्रोल पंपों और वितरण इकाइयों पर इथेनॉल की मात्रा का लेबल अनिवार्य रूप से लगाएं. याचिका में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को यह स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए और ईंधन भरते समय उपभोक्ताओं को उनके वाहनों की इथेनॉल अनुकूलता के बारे में भी सूचित किया जाना चाहिए.

याचिका में दावा किया गया है कि लाखों वाहन चालक पेट्रोल पंपों पर असहाय हो जाते हैं और उन्हें ऐसा ईंधन खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो उनके वाहन के लिए अनुकूल नहीं है.

याचिकाकर्ता ने इस बात पर जोर दिया कि 2023 से पहले निर्मित कारें और दोपहिया वाहन, और यहां तक ​​कि कुछ नए BS-VI मॉडल भी, ऐसे उच्च इथेनॉल मिश्रणों के अनुकूल नहीं हैं.

               ब्युरो रिपोर्ट

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