google.com, pub-4211912006974344, DIRECT, f08c47fec0942fa0 22 जनवरी को छत्तीसगढ़ के मंदिरों में होगी पूजा-अर्चना, शाम को गंगा आरती : बृजमोहन अग्रवाल - BBC Hindi News

22 जनवरी को छत्तीसगढ़ के मंदिरों में होगी पूजा-अर्चना, शाम को गंगा आरती : बृजमोहन अग्रवाल

रायपुर। अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी के ऐतिहासिक पल को छत्तीसगढ़ में यादगार बनाया जाएगा। प्रदेश के सभी जिलों और ब्लॉक स्तर के सभी प्रमुख मंदिरों में सुबह आरती और पूजा का आयोजन होगा। यह निर्देश संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने दिए।

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नया रायपुर अटल नगर स्थित महानदी भवन में मंत्री अग्रवाल ने संस्कृति और पर्यटन विभाग के कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि 22 जनवरी शाम को गंगा आरती का आयोजन किया जाए। साथ ही इस मौके पर राज्य के सभी शासकीय भवनों में आकर्षक रौशनी की व्यवस्था की जाए।

संस्कृति मंत्री अग्रवाल ने बैठक में विभागीय अधिकारियों को श्री रामलला दर्शन योजना में प्रदेशवासियों को अध्योया ले जाने के लिए व्यवस्थित और सुविधापूर्ण कार्ययोजना भी तैयार करने कहा। इस योजना में 18 से 75 आयु वर्ग के लोगों को श्री रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या की यात्रा करायी जाएगी।

संस्कृति मंत्री अग्रवाल ने उज्जैन और बनारस में बनाये गए भव्य कॉरीडोर की तर्ज पर राजिम मंदिर परिसर को विकसित करने भव्य कॉरीडोर निर्माण के बारे में अधिकारियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि कॉन्सेप्ट प्लान बनाने के काम शुरू किया जाए। और राजिम कुंभ के भव्य आयोजन के लिए पर्यटन, धर्मस्व और संस्कृति विभाग को मिलकर काम करने के निर्देश दिए।

संस्कृति मंत्री अग्रवाल ने चारधाम यात्रा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के कुदरगढ़, चन्द्रपुर के चन्द्रहासिनी, रतनपुर के महामाया, डोंगरगढ़ के बम्लेश्वरी और दंतेवाड़ा
के दंतेश्वरी मंदिर में विभिन्न सुविधाओं के विकास के कार्ययोजना तैयार कर चरणबद्ध ढंग से काम किया जाए। उन्होंने गरियाबंद जिले के भूतेश्वर महादेव, जतमई घटारानी जलप्रपात, शिवमहापीठ, सिरकट्टी आश्रम और कोपरा के कोपेश्वर महादेव को ट्रॉयबल परिपथ के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए।

पुरखौती मुक्तांगन में होगा पतंग उत्सव

संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि राजधानी रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन परिसर में मकर संक्रांति के दिन भव्य पतंग उत्सव का आयोजन किया जाए। इसके लिए राज्य के साथ-साथ अन्य राज्यों के भी पतंगबाजों को आमंत्रित किया जाए। पतंग महोत्सव को भव्य और आकर्षक रूप देने के लिए दर्शकों और आम नागरिकों के लिए लोक कलाकारों दारा गीत-संगीत का भी आयोजन किया जाए।

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